सोमवार, 30 सितंबर 2024
अजमेर रत्न स्वर्गीय श्री मुकुट बिहारी लाल भार्गव
रविवार, 29 सितंबर 2024
काश, तब किसी जनप्रतिनिधि को स्मार्ट सिटी योजना का जिम्मा सौंपा जाता
असल में अजमेर के लोग यह देखने के आदी हो चुके हैं कि यहां लाख दावों और प्रयासों के बाद भी विभिन्न विभागों में तालमेल नहीं हो पाता। निगम या पीडब्ल्यूडी सड़क बनाती है और उसके तुरंत बाद अजमेर विद्युत वितरण निगम या भारत दूरसंचार निगम उसे केबल डालने के लिए खोद डालता है। यह मुद्दा न जाने कितनी बार संभागीय आयुक्त व जिला कलेक्टर के सामने और अजमेर विकास प्राधिकरण की बैठकों में उठता रहा है। हर बार यही कहा जाता है कि अब तालमेल का अभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, मगर नतीजा ढ़ाक के तीन पात ही रहता है।
इसके अतिरिक्त ये भी पाया गया है कि जब जब अजमेर नगर सुधार न्यास, जो कि अब अजमेर विकास प्राधिकरण है, का मुखिया प्रशासनिक अधिकारी रहा है, विकास का काम ठप ही हुआ है। और जब भी जनता का कोई नुमाइंदा अध्यक्ष रहा है, उसने अपनी प्रतिष्ठा के लिए पूरी रुचि लेकर विकास के कार्य करवाए हैं। स्वाभाविक सी बात है कि सरकारी अधिकारियों की अजमेर के प्रति कोई रुचि नहीं होती, क्योंकि उन्हें तो केवल नौकरी करनी होती है और मात्र दो-तीन साल के लिए अजमेर आते हैं। ऐसे में यह जरूरी सा लगता है कि अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाए जाने के लिए जो अजमेर स्मार्ट सिटी कारपोरेशन लिमिटेड गठित होगा, उसका मुखिया जनता का ही कोई नुमाइंदा हो।
इस महती योजना की ठीक से मॉनिटरिंग भी अधिकारियों की बजाय जनता का ऐसा नुमाइंदा कर सकता है या कर पाएगा, जो स्थानीय कठिनाइयों, जरूरतों और संभावनाओं को बेहतर जानता होगा। अधिकारियों के भरोसे काम किस प्रकार होते हैं, इसका अनुमान तो इसी बात से लग जाता है स्मार्ट सिटी के लिए सबसे पहले घोषित तीन शहरों में अजमेर का नाम शुमार होने के बाद भी उसकी औपचारिकता में कितनी लापरवाही बरती गई।
लब्बोलुआब, सरकार को नीतिगत निर्णय करते हुए स्मार्ट सिटी कारपोरेशनों को जनता के प्रतिनिधियों को सौंपना चाहिए और उसकी कमेटी में स्थानीय विशेषज्ञों के साथ संबंधित विभागों के जिम्मेदार अधिकारियों को सदस्य के रूप में शामिल करना चाहिए। तभी अपेक्षित परिणाम सामने आएंगे। नहीं तो इसका हाल वही होना है, जैसा अब स्लम फ्री सिटी, जेएनएनयूआरएम आवास योजना और सीवरेज लाइन योजना का हुआ है। आखिर वही हुआ, जिसकी आशंका थी। आज लगभग सभी जनप्रतिनिधि सियापा कर रहे हैं कि अधिकारियों ने उनके सुझावों पर गौर किया ही नहीं।
शनिवार, 28 सितंबर 2024
जुझारू पत्रकार थे स्वर्गीय श्री कृष्ण गोपाल गुप्ता
शुक्रवार, 27 सितंबर 2024
अजमेर में है पैगम्बर मोहम्मद साहब के मुए मुबारक
इस मौके पर जनाब मौलाना बशीरुल कादरी साहब ने सलातो सलाम का नजराना पेश किया व अमीन मूए मुबारक जनाब ख्वाजा सैय्यद गयासुद्दीन चिश्ती साहब दुआ फरमाई।
पूर्व दीवान दादा शैखुल मशाएख हज़रत सैयद इनायत हुसैन व वालिद पूर्व दीवान सैयद सौलत हुसैन की औलाद ख्वाजा सैयद गयासुद्दीन चिश्ती 1 जुलाई 1959 को अजमेर में पैदा हुए। आपने शुरुआती तालीम अपने वालिद और खास तरबियत वालिदा से हासिल की। जोधपुर के दारूल उलूम इस्हाकिया से मौलवी की सनद और तजवीद व किरअत में महारत हासिल की। मोईनिया इस्लामिया स्कूल से हायर सेकण्डरी का इम्तेहान पास किया। आपकी नियुक्ति राजस्थान लोक सेवा आयोग में 1979 में हुई। आप राजस्थान लोक सेवा आयोग मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रहे हैं। 1977 में अपने वालिद से मुरीद हुए। 2002 में वालिद के इन्तेकाल पर जलसा-ए-आम में मशाइकीन ने दस्तारबन्दी की। दीवान ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती (ख़्वाजा साहब की कविताओं का संकलन) का दूसरा एडीशन आपकी निगरानी में छप चुका है। नगमाते ख्वाजा, सलामे ख़्वाजा, गुलदस्ता-ए-चिश्तिया, खत्मे ख़्वाजगान आप की लिखी हुई किताबें हैं। कलेक्ट्रेट अजमेर के पास मस्जिद मूए मुबारक (कचहरी मस्जिद) की आपने नई तामीर की, जो 1947 के बाद इतने बड़े पैमाने पर तामीर होने वाली पहली तीन मंज़िला मस्जिद है। हिन्दुस्तानी हुकुमत की तरफ से खिदमत अन्जाम देते हुए दो बार हज-ए-बयतुल्ला अदा फरमाया।
बुधवार, 25 सितंबर 2024
खिलाडियों की सेवा में जुटे शक्ति सिंह गौड़
ज्ञातव्य है कि शक्ति सिंह गौड़ गत 30 अगस्त को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, सराधना से सेवा निवृत हुए हैं। वे शिक्षा विभाग में बहुत चर्चित व लोकप्रिय रहे हैं। वे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, मुख्यमंत्री से सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। प्रसंगवश बता दें कि उनके अनुज भ्राता जसवंत सिंह गौड़ राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, भूड़ोल में बास्केटबाल से वरिष्ठ शारीरिक शिक्षक हैं।
जे के शर्मा बुन रहे हैं भावी राजनीति का ताना बाना?
मंगलवार, 24 सितंबर 2024
समाजसेवा में अग्रणी संस्था: एक पहल सेवा की ओर
भारत के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था कि सपने वो नहीं होते जो आप सोते समय देखते हैं बल्कि सपने वे होते हैं जिन्हें आप साकार करने के जूनून में सो नहीं पाते हैं ।
वर्ष 2016 में पर्वतपुरा अजमेर में रोडवेज वर्कशॉप के सामने जब मैं और मेरे पिता श्री महेश कुमार गर्ग गुजर रहे थे तब देखा कि झुग्गी झौपडियों में जीवन जीने वाले लोगों का जीवन बिताना कितना कठिन होता है । बुजुर्ग, बच्चे, महिलाऐं कि हाल में रहते हैं जिसे देख कर हमारा मन पसीज गया तभी से हमने यह ठान लिया कि अपने लिए तो सभी जीते हैं दूसरों के लिए भी जीना चाहिए, तब से ‘‘आपको सामान जरुरतमंद की मुस्कान’’ नाम से एक संदेश सभी जगह सोशल मिडिया पर प्रचारित कर समाज सेवा की शुरुआत की गई ।
कुछ अभागे गरीब परिवार के बच्चे मैले कुचैले कपडे पहने सडक पर भीख मांग रहे होते हैं न ही वे पढ पाते हैं ना ही अच्छा खाना खा पाते है ना ही अच्छे कपडे पहन पाते हैं उनके पैरो में ना तो चप्पल होती है ना ही जूते और यह सिलसिला पीढी दर पीढी चलता रहता है जब एक शहर में यह स्थिति यह है तो पूरे देश के अन्य गरीब बच्चों की स्थिति क्या होगी । संस्था को यह विचार आया कि आखिर हम इनकी कैसे सहायता कर सकते हैं मन में दान की प्रवृति सदा से ही रही है और भगवान ने संस्था को जो दिया है तो क्यों न संस्था इन असहायों के उत्थान के लिए काम करें यही सोचकर संस्था में यह विचार पैदा हुआ कि क्या ना प्रत्येक व्यक्ति कुछ न कुछ सहयोग करें ।
आज लगभग पिछले 7 सालों से हमारी संस्था ने एक संदेश के माध्यम से अजमेर में वस्त्र बैंक, बुक बैंक, अजमेर में 10 सेन्टर भी बनाये जाकर सेवाकार्य प्रारम्भ किया था जो कि गरीब, बेसहारा जरुरतमंदों की सेवा के लिए था । जहां अनुपयोगी सामान जैसे वस्त्र, खिलौने, बुक या अन्य कोई भी सामान जो जरुरतमंद के काम आ सके देखते ही देखते काफी अनुपयोगी सामान संस्था को प्राप्त हुआ जिसे समयानुसार अजमेर, पुष्कर, नसीराबाद, किशनगढ, राजगढ, जयपुर रोड आदि क्षेत्रों के स्लम एरिया में वितरित किये जाते हैं । संस्थापक महेश कुमार गर्ग जी थे जो बहुत ही नेकदिल इंसान थे एवं उनकी पत्नि श्रीमती सुधा रानी गर्ग दोनों ही सेवाकार्यों में संलिप्त रहते थे । रेलवे से सेवानिवृत होने के बाद उन्होनें यह सेवाकार्य प्रारम्भ कर दिये । श्री महेश कुमार गर्ग का देहान्त सन् 2017 में हो जाने के पश्चात् उनके सुपुत्र श्री शैलेश गर्ग व पुत्रवधु श्रीमती नीरु गर्ग जो कि एमपीएस स्कूल में अध्यापिका हैं ने आज भी यह सेवा कार्य जारी रखा है जो शनिवार व रविवार को स्लम एरिया में जाकर जरुरतमंदों की सेवा करते हैं उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की भी शिक्षा देते हैं। इन सेवा कार्यों में इनके पारिवारिक सदस्य बबीता ईनाणी के द्वारा भी अपने निजी कार्यों से समय निकाल कर सेवाकार्यों में सहयोग देना प्रारम्भ कर दिया।
संस्था के सदस्य सेवा देने के साथ साथ गरीब/जरुरतमंदों को यह भी समझाते हैं कि आप कुछ न कुछ कार्य करो आत्मनिर्भर बनो, नर सेवा नारायण सेवा हमारी संस्था कर ही रही है । संस्था वस्त्रों से, बुक से व सूखी राशन सामग्री से अति निर्धन लोगों की मदद करती है एवं जानवरों के लिए भी आटा, कुट्टी, खल देना एवं लम्पी बिमारी के समय पीडित गायों के लिण् भी ग्लूकोज, चारा, गुड, दलिया, रचका एवं अन्य दवाईयों की भाी सेवा संस्था द्वारा की गई । डीयर पार्क, कांजी हाउस व अन्य गौशालाओं में भी समय समय पर अपनी सेवाएं संस्था के माध्यम से की जाती रही हैं ।
यह संस्था राजस्थान सरकार से रजिस्टर्ड है । संस्था वर्ष 2016 से पहले से वस्त्र बैंक, बुक बैंक, पर्यावरण के लिए और सूखी राशन सामग्री/खाने से अपने निजी और सहयोग स्तर से अति निर्धन लोगों के लिए अपनी सेवाऐं देती आ रही है । संस्था के संस्थापक श्री शैलेश गर्ग जो कि जेक्सन कोओपरेटिव सोसायटी रेलवे में कार्यरत थे करीब 10 साल पहले उन्होंने जन सेवा के लिए अपनी नौकरी छोड दी । नर सेवा नारायण सेवा में विश्वास करने वाली संस्था में श्री गर्ग की धर्म पत्नि श्रीमती नीरु गर्ग अध्यापिका, माहेश्वरी पब्लिक स्कूल अजमेर एवं उनका पुत्र अंश गर्ग और संस्था के सदस्य भी सेवा में अपना योगदान एवं समय देते हैं ।
संस्था की सेवा देखकर एमडीएच मसाले के उद्योगपति स्व.श्री धर्मपाल जी गुलाटी भी बहुत खुश हुए और उन्होनें दिल्ली में ‘‘सहयोग’’ नाम से सेवा संस्था खोली और खुश होकर संस्था को एक मारुति ईको कार इनाम में सेवा कार्यों के लिए प्रदान की । संस्था ब्रम्हाकुमारीज आश्रम से भी जुडी हुई है और बी.के.बहने भी साथ समय समय पर सेवा कार्य करते रहते हैं । संस्था सरकारी स्कूलों के निर्धन बच्चों को स्वेटर व अन्य सामग्री से भी मदद करती है समय समय पर वृद्धाश्रम जाकर भी सेवा देती है । कोरोनाकाल में संस्था ने राशन सामग्री वितरित की तथा जेएलएन अस्पताल में भी चिकित्सकों के लिए मास्क वितरित किये तथा अति निर्धन व्यक्तियों को कम्बल व सूखी राशन सामग्री से भी सेवाऐं दी जा रही है । इन सभी सेवा कार्यों का संस्था का पेज ‘‘एक पहल सेवा की ओर’’ तथा शैलेश गर्ग के फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है ।
संस्था के द्वारा आम जनता में जागरुकता फैलाई जाती रही है कि आपके पास जो कुछ भी अनुपयोगी सामान जो अच्छी हालत में हो जैसे कपडा, जूता, खिलौने, पढाई की किताबें आदि ठीक हालत में हो आप उसे संस्था को भेजे और हमारी संस्था उसे ठीक करके और अच्छी पैंकिग करके जरुरतमंदों तक पहॅुचायेगी । ऐसा ना समझें कि दान बहुत अमीर व्यक्ति ही कर सकता है वास्तव में तो दान हर व्यक्ति कर सकता है जिसके मन में किसी की सहायता करके उसको उंचा उठाने की इच्छा हो । यदि सभी अपनी ओर से कुछ न कुछ सहयोग करेगें तो हम जरुरतमंदों की सहायता करके उनका दुःख दूर कर सकते हैं ।
शैलेश गर्ग - संस्थापक
मो.न. 9983177000, 9460361433
श्रीमती नीरु गर्ग - कोषाध्यक्ष
श्रीमती बबीता ईनानी - अध्यक्ष
मो.न. 8824951122
अंश गर्ग - सदस्य, मो.न. 9593930001
सोमवार, 23 सितंबर 2024
जिंदादिल इंसान थे श्री पूर्णाशंकर दशोरा
शनिवार, 21 सितंबर 2024
शख्सियत श्री वेद माथुर
गुरुवार, 19 सितंबर 2024
और भी हैं अनोखे चरित्र
चूरण वाले बाबा के बारे और जानकारी देते हुए एक सज्जन ने बताया कि हम उन बाबा को जय गुरुदेव बाबा के नाम से जानते थे। बाबा तीन पहिए की साइकिल पर चूर्ण की बारनियां लगा कर चूरन की गोलियां बेेचते थे। ज्यादातर मार्टिंडल ब्रिज व केसरगंज इलाके में ही नजर आते थे। उनका घर हमारे पड़ोस में नोनकरण का हत्था, नगरा पर अब भी स्थित है, जिसमें उनकी लड़की एवं उनका नवासा रहता है।
एक आदमी ऐसा भी था, जो चाक या कोयले से बिजली के खंबों या दीवारों पर बरसात शब्द लिखा करता था। अंग्रेजी में रेन लिखा करता था। ऐसा करने वाला वह कौन था, इसका कभी पता नहीं लगा। चूंकि बरसात शब्द में लाइन नहीं होती थी, इस कारण समझा गया कि कदाचित वह गुजराती रहा होगा। ज्ञातव्य है कि गुजराती भाषा में शब्दों के ऊपर लाइन नहीं होती है। हर जगह बरसात लिखने वाला कहां चला गया? इस शीर्षक से मेरा ब्लॉग प्रकाशित होते ही कई प्रतिक्रियाएं आई। मेरे मित्र श्री रमेश टिलवानी व श्री गोविंद मनवानी ने बताया कि उस शख्स का नाम श्री झामनदास है। वे अंग्रेजी में एमए हैं और पहले मीरा स्कूल में व बाद में उसका सारा स्टाफ आदर्श विद्यालय में शिफ्ट हो जाने पर वहां पर दसवीं-ग्यारहवीं के छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाया करते थे। वे बहुत इंटेलीजेंट थे, मगर बाद में किसी कारणवश मेंटली डिस्टर्ब हो गए। जहां तक बरसात शब्द की टाइपोग्राफी का सवाल है, वह गुजराती भाषा की तरह होने के पीछे कारण ये रहा होगा कि वे मूलतः अहमदाबाद से अजमेर आए थे। शुरू में वे लाखन कोटड़ी में रहा करते थे। अब वैशाली नगर में रहते हैं। अब भी यदा-कदा किताब हाथ में लिए हुए दिखाई दे जाते हैं।
इसी प्रकार एक आदमी कचहरी रोड पर दिखाई देता था, वह रिक्शा चलाया करता था, बहुत सारे कपड़े पहनता था और हर वक्त कुछ बुदबुदाता रहता था। इसी प्रकार कोयले की टाल पर काम करने वाला एक आदमी तीन पहिये की गाडी के साथ गंज से वैशाली नगर मार्ग पर नजर आता था, वह अपनी कमाई से ब्रेड खरीद कर कुत्तों को खिलाया करता था।
पुराने प्राइवेट बस स्टैंड पर एक सिंधी बुजुर्ग गोली बिस्किट बेचा करता था और बसों के गन्तव्य के लिए रवाना होते वक्त खडा हो कर जोर जोर से पुकारा करता था कि बस अमुक स्थान के लिए रवाना होने वाली है। उसे बस वाले पांच दस रूपये दे दिया करते थे।
इसी प्रकार रेलवे स्टेशन के सामने फुटपाथ पर दो बुजुर्ग बहिनें बैठी रहती थीं। सालों तक उन्हें वहां देखा गया।
दरगाह इलाके में बडी बडी मूछों वाला हट्टा कट्टा एक आदमी दरबान की वेषभूशा में सजा धजा नजर आता था। वह किसी वीआईपी के आने पर जरूर दिखाई देता था।
रविवार, 15 सितंबर 2024
सांई बाबा मंदिर में हुआ था ऐतिहासिक विवाह
तकरीबन दस साल पहले जब जीवन का अहम संस्कार कन्या दान करने का मौका आया तो उन्होंने इसके लिए अपनी प्यारी जन्मभूमि अजमेर को ही चुना और अपनी बेटी नमिता की शादी जापान के उद्योगपति मिशु से सांई बाबा मंदिर परिसर में ही की। इस भव्य व ऐतिहासिक समारोह के साक्षी बने जिले के कई राजनेता, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी, कारोबारी सहित अजमेर के कई गणमान्य लोग, जिनका कहना है कि ऐसी भव्य, अनूठी और विलक्षण शादी अजमेर के इतिहास में न देखी, न सुनी। न खर्च के लिहाज से, न खूबसूरती के पहलु से और न ही थीम डिजाइन के एंगल से।
तकरीबन तीन सौ जापानियों की बारात को जयपुर से एयर कंडीशंड बसों में विवाह स्थल पर लाया गया। विशेष बात ये रही कि सभी बाराती राजस्थानी वेशभूषा में थे। कैसा विलक्षण सांस्कृतिक संयोग है, युवती सिंधी, युवक जापानी, बाराती राजस्थानी लुक में और विवाह स्थल मंदिर परिसर। इतना ही नहीं, इस भव्य विवाह ने पर्यावरण रक्षा का अनूठा संदेश भी दिया। साईं बाबा मंदिर से डेढ़ किलोमीटर पहले से सजावट की गई सजावट की थीम ग्रीनरी रखी गई थी। ऐसी सजावट शहर में पहले कभी नहीं हुई। सजावट में लगे आकर्षक झूमर जयपुर और दिल्ली से मंगाए गए थे। बारातियों के स्वागत के लिए चार हाथियों को लाया गया था। कहते हैं न कि शादी कितनी भी भव्य सजावट के साथ की गई हो, मगर उसमें शिरकत करने वालों को असल मजा तभी आता है, जबकि उन्हें स्वादिष्ट भोजन परोसा जाता है। खाने में देश के प्रत्येक राज्य का मीनू स्पेशल डिश के साथ शामिल किया गया था। अतिथियों की सहूलियत के लिए मीनू का बाकायदा नक्शा बनाया गया था, ताकि मेहमानों के खाने के व्यंजन ढूंढने में असुविधा न हो। सॉफ्ट ड्रिंक में ब्लू करंट, पीनी कोलाड़ा, रसभरी, कोकोनट, वाटर मेलन, ग्रीन मिंट, ट्रिपल स्क्वायर आदि को शुमार किया गया था। शेक में काजू, अंजीर, पिस्ता, इलाइची आदि थे तो, साथ ही जूस में मौसमी व पाइन एपल का इंतजाम था।
प्रसंगवश बता दें कि सुरेश के. लाल की आकांक्षा के अनुरूप इस पूरे इंतजाम को साकार रूप दिया सांई बाबा मंदिर के ट्रस्टी महेश तेजवानी और स्वामी समूह के सीएमडी कंवल प्रकाश किशनानी ने, जिसे देख कर अजमेर वासी तो दंग रहे ही, जापानी मेहमान भी अभिभूत हो गए।
यहां आपको बता दें कि सांई बाबा के अनन्य भक्त सुरेश के. लाल जाने-माने अप्रवासी भारतीय हैं, जिन्होंने अजमेर-ब्यावर मार्ग पर पृथ्वीराज स्मारक वाली सड़क पर एक किलोमीटर अंदर अजयनगर कॉलोनी में संगमरमर के पत्थर से साईं बाबा के मंदिर का निर्माण कराया है।
शुक्रवार, 13 सितंबर 2024
दरगाह में मांसाहारी लंगर पकाया ही नहीं जाता
कदाचित ताजा खबर बनाने वाले को इस तथ्य की जानकारी न हो, वरना वह शाकाहारी लंगर शब्द का उपयोग न करता, इतना लिखना ही काफी था मोदी जी के जन्मदिन पर दरगाह में चार हजार किलो लंगर बनाया जाएगा। यह मामूली त्रुटि प्रतीत होती है, मगर उस चूक की वजह से कितनी बडी तथ्यात्मक भ्रांति उत्पन्न होती है।
इसी किस्म की त्रुटि एक बार पहले भी हो चुकी है, जिससे अर्थ का अनर्थ हो जाता गया। हुआ यूं कि जब पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ भारत दौरे पर थे और उनका आगरा के बाद अजमेर आने का कार्यक्रम था तो एक खबर ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी थी। वो यह कि मुशर्रफ के आने पर उनके स्वागत में दरगाह स्थित जन्नती दरवाजा नहीं खोला जाएगा। उन दिनों दोनों देशों के बीच संबंध भी कुछ गड़बड़ चल रहे थे, इस कारण इस खबर का अर्थ ये निकाला गया था कि मुशर्रफ के प्रति असम्मान के चलते ही जन्नती दरवाजा नहीं खोलने का निर्णय किया गया है। हालांकि तब उनका अजमेर दौरा रद्द हो गया था और वे आगरा से ही लौट गए थे। उनके अजमेर न आ पाने को इस अर्थ में लिया गया कि ख्वाजा साहब के यहां उनकी हाजिरी मंजूर नहीं थी। तभी तो कहते हैं कि वहीं अजमेर आते हैं, जिन्हें ख्वाजा बुलाते हैं।
असल में उनके प्रति असम्मान जैसा कुछ नहीं था। हुआ यूं कि मुशर्रफ के आगमन पर पत्रकार अंजुमन पदाधिकारियों से तैयारियों बाबत जानकारी हासिल कर रहे थे। एक पत्रकार ने, जिन्हें कि दरगाह की रसूमात के बारे में कुछ खास जानकारी नहीं थी, उन्होंने यह सवाल दाग दिया कि क्या मुशर्रफ के आने पर जन्नती दरवाजा खोला जाएगा। इस पर अंजुमन पदाधिकारियों ने कहा कि नहीं। नतीजा ये हुआ कि यह एक खबर बन गई और विशेष रूप से दिल्ली के अखबारों में प्रमुखता से छपी कि मुशर्रफ के आने पर जन्नती दरवाजा नहीं खोला जाएगा। दरअसल अंजुमन पदाधिकारियों ने सवाल का जवाब देते वक्त केवल नहीं शब्द का इस्तेमाल किया। वे अगर कहते कि किसी भी वीवीआईपी के आने पर जन्नती दरवाजा नहीं खोला जाता है तो यह वाकया नहीं होता। यहां ज्ञातव्य है कि यह साल में चार बार खोला जाता है, उर्स हजरत ख्वाजा गरीब नवाज पर यानि 29 जमादिस्सानी से छह रजब तक, हजरत गरीब नवाज के पीर-ओ-मुर्शद के उर्स की तारीख पर यानि छह शबाकुल मुकर्रम पर और ईद उल फितर यानि मीठी ईद व ईद उल जोहा यानी बकरा ईद के दिन।
गुरुवार, 12 सितंबर 2024
शैलेन्द्र अग्रवाल पहले भी मेरिट पर थे
रलावता तीसरी बार चुनाव लडना चाहते हैं
अजमेर शहर जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भले ही लगातार दो बार हार चुके हैं, लेकिन वे तीसरी बार भी चुनाव लडने का मानस रखते हैं। तीसरी बार टिकट मिलना कठिन प्रतीत होता है, मगर इसके लिए उनके पास तर्क है कि श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ को भी तो तीसरी बार टिकट दिया गया था। इसी प्रकार रामबाबू शुभम भी तीसरी बार टिकट लाने में कामयाब हो गए थे। तीसरी बार टिकट पाने के लिए उनके पास एक मजबूत आधार है ये कि वे दूसरी बार मात्र साढे चार हजार वोटों से ही हारे। इस हार का मतांतर ज्यादा नहीं है। जानकारी के अनुसार हारने के बाद भी जयपुर रोड पर स्थित उनका दफ्तर रोज खुलता है। फरियादी अब भी आते हैं, इस कारण वे नियमित रूप से दफ्तर में बैठते हैं। उनकी अनुपस्थिति में उनके पुत्र शक्ति सिंह लोगों से मुखातिब होते हैं। एक अर्थ में यह शक्ति सिंह का प्रशिक्षण है। अगर जरूरत हुई तो ऐन वक्त पर उन्हें भी आगे किया जा सकता है।
मधु सिंह फिर तलाश रही हैं राजनीतिक जमीन
किसी जमाने में शहर जिला महिला कांग्रेस अध्यक्ष के नाते अजमेर में सक्रिय रहीं श्रीमती मधु सिंह राजनीतिक पटल के नैपथ्य में चली गई हैं। सक्रियता के दौर वे बहुत चर्चित रहीं। मगर अब फिर पर्दे से बाहर आने की इच्छुक हैं। एक बार फिर राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि पिछले कुछ समय से वे राजनीतिक कार्यक्रमों से दूर रही हैं, मगर सामाजिक सक्रियता सतत बनाए हुई हैं। कदाचित पारीवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए राजनीतिक गतिविधियों से दूर रही हों, मगर अब सभी कामों से फारिग हो चुकी है। ऐसे में उन्हें पुराने दिन याद आ रहे हैं। वे शहर अध्यक्ष के बाद देहात जिला कांग्रेस में उपाध्यक्ष भी रही हैं। उन्हें लगता है कि राजनीति में फिर से सक्रिय हुआ जा सकता है। इस सिलसिले उन्होंने अपने करीबियों से चर्चा आरंभ कर दी है। ज्ञातव्य है कि पूर्व में वे अजमेर पश्चिम के अतिरिक्त पुष्कर से प्रबल दावेदार हुआ करती थीं। तब उनका भी जलजला हुआ करता था। उन्हें लगता है कि जिस प्रकार कांग्रेस हाईकमान महिलाओं को प्राथमिकता देना चाहता है, संभव है उनकी लॉटरी खुल जाए। रहा सवाल जयपुर दिल्ली तक संपर्क सूत्रों तो वे फिर से पुनर्जीवित किए जा सकते हैं।
शख्सियत: स्वर्गीय श्री कमलेन्द्र कुमार झा
बुधवार, 11 सितंबर 2024
डॉ प्रभा ठाकुर का जागा अजमेर प्रेम
धर्मेश जैन हैं बहुत मानसिक पीडा में
अजमेर नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन इन दिनों बहुत मानसिक पीडा में हैं। उन्हें दुख है कि जब आनासागर की दुर्दशा की इबारत लिखी जा रही थी, वे मुट्ठी तान कर लगातार आवाज बुलंद कर रहे थे, मगर न तो शासन-प्रशासन ने सुनवाई की और न ही पार्टी के नेताओं ने उनका साथ दिया। वे बार बार चिल्ला चिल्ला कर कह रहे थे कि अधिकारी मनमानी कर रहे हैं, वे तो चले जाएंगे, मगर उसका खामियाजा अजमेर की जनता को भोगना पडेगा। हुआ भी वही। अगर स्मार्ट सिटी की सीबीआई जांच की जाए तो यह साफ हो जाएगा कि अधिकारियों की मनमानी के चलते ही मौजूदा जल त्रासदी मुंह बाये खडी है। उनका दावा है कि जल त्रासदी से निपटने के लिए तत्काल उपाय के साथ दीर्घकालीन योजना का ब्लू प्रिंट उनके दिमाग में है। मगर उसको धरातल पर तभी उतारा जा सकेगा, जबकि उस पर गौर किया जाएगा। इस सिलसिले में वे जिला कलेक्टर से मुलाकात करेंगे।
फिर वही घोडे और वही मैदान
अजमेर के पानी की जो तासीर है, उसे देखते हुए नगर की नब्ज पर हाथ रख कर धडकन पढने वालों को आप यह कहते सुन रहे होंगे कि थोडे दिन की बात है, बरसात जब थम जाएगी, सडकों से पानी हट जाएगा, फिर आएगा जगह जगह फैली गंदगी व मलबे को हटाने का दौर, उसके बाद आरंभ होगा पेचवर्क। हमारी स्मृति इतनी कमजोर है कि भयानक जल त्रासदी को भूल जाएंगे। फिर वही घोडे और वही मैदान। स्थाई समाधान की दिशा में कुछ होगा या पता नहीं, कुछ पता नहीं, मगर बाढ से बिलकुल करीब से गुजरने वाले क्षण ठीक वैसे ही भूल जाएंगे, जैसे 1975 की बाढ और बिपरजॉय का जलजला। एक अर्थ में यह ठीक है ठोकर खा कर जमीन पर गिर पडी जिंदगी फिर दौडने लगेगी। मगर ठोकर खा कर भी ठाकर नहीं बने तो ठोकर भी लानत देगी कि अजीब लोगों का बसेरा है इस अजमेर शहर में, सब कुछ सहन करते हैं, मगर चूं तक नहीं करते। इस बार शासन-प्रशासन के साथ अपनी लापरवाही की वजह से उत्पन्न हुई विकराल समस्या को लेकर जितना हो-हल्ला हो रहा है, उम्मीद की जानी चाहिए कि इस दफा हम अपनी कुंडली पर ठोकर मार दिखाएंगे।
प्रिंट से आगे निकल गया सोशल मीडिया
सोशल मीडिया जितना तेज रफ्तार है, प्रिंट को पिछडना ही था। आप देखिए, भाजपा नेता के पुत्र की कारसतानी भी सोशल मीडिया ने उजागर की, जिसके सहारे प्रिंट में खबर छपी और सोशल मीडिया ने ही घटना के पीछे की कहानी उजागर की। प्रिंट ने खबर बनाते हुए तह तक जाने की जहमत नहीं उठाई। यह पता नहीं लगाया कि मौके पर आखिर हुआ क्या था? राजकाज में बाधा के पीछे का सच जानने की कोशिश क्यों नहीं की? सच का दूसरे दिन सामने आना तनिक संशय उत्पन्न करता है। अगर यह सही है कि पुलिस कर्मी ने असंवेदनशीलता दिखाई तो उसके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए।
मंगलवार, 10 सितंबर 2024
परदेसियों न अंखियां मिलाना, परदेसियों को है इक दिन जाना
सोमवार, 9 सितंबर 2024
अजमेर के ब्लॉगर्स दे रहे हैं शासन-प्रशासन को दिशा
सडक के बीचोंबीच गायों के झुंड क्यों?
रविवार, 8 सितंबर 2024
क्या कुछ दिन ठहर नहीं सकती थीं जिला कलेक्टर डॉ भारती दीक्षित?
प्रिंट व सोशल मीडिया साधुवाद का पात्र
भारी बरसात के बाद फायसागर के छलकने पर जब अजमेर में जलजला आ गया तो जान की परवाह किए बिना प्रिंट व सोशल मीडिया कर्मी चहुंओर पसर गए। चप्पे चप्पे के हालात का लाइव कवरेज लोगों को दिखाया। पूरा शहर पल पल अपडेट हो रहा था। प्रशासन के पास खुद का ऐसा कोई नेटवर्क नहीं था कि गली-गली मोहल्ले-माहल्ले की स्थिति का आकलन किया जा सके, मगर सोशल मीडिया ने ग्राउंड रिपोर्ट कर हालात से साक्षात्कार कराया। प्रशासन के लिए राहत कार्य करना आसान हो गया। यूट्यूबर्स ही नहीं, कई बुद्धिजीवी भी इस काम में जुट गए। इतना ही नहीं, रिपोर्टिंग की ड्यूटी करते हुए दैनिक भास्कर के पत्रकार मनीष सिंह चौहान व अतुल सिंह और फोटो जर्नलिस्ट मुकेश परिहार व रमेश डाबी ने स्कूली बच्चों की सहायता में जुट गए। वाकई ये सभी साधुवाद के पात्र हैं।
शनिवार, 7 सितंबर 2024
स्मार्ट सिटी के कार्यों की सीबीआई से जांच की जाए-धर्मेश जैन
अजमेर में बाढ़ के जो हालात उत्पन्न हुए हैं, उस पर गहरा रोष व्यक्त करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता और नगर सुधार न्यास के पूर्व धर्मेश जैन ने मांग की है कि स्मार्ट सिटी के कार्यों की सीबीआई जांच कराई जाए। उन्होंने अफसोस जाहिर किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की महत्वाकांक्षी योजना पर पूरी तरह से पानी फिर गया है। उन्होंने कहा कि आनासागर में अवैध निर्माण होते रहे, मगर जिम्मेदार राजनेताओं व अधिकारियों की लापरवाही के कारण आज यह स्थिति उत्पन्न हुई है। इसके अतिरिक्त भूमाफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए पाथ वे बनाने का निर्णय किया गया और उसके लिए लाखों टन मिट्टी से आनासागर के किनारों को पाट दिया गया। परिणामस्वरूप आनासागर की भराव क्षमता कम हो गई। जैसे ही तेज बारिश आई, आनासागर छलक गया। और आज करीब पचास कॉलोनियों में पानी भर गया है। जनजीवन ठप हो गया है। यह सब राजनेताओं व अधिकारियों के गठजोड के चलते हुआ है। अजमेर स्मार्ट सिटी की बजाय नर्क सिटी बन गया है।
घटना से पहले छप गई खबर
शुक्रवार, 6 सितंबर 2024
इधर उधर की
क्यों सिंधी सिंधी करते हैं?
हाल ही महावीर सर्किल पर अतिक्रमण हटाए गए। इस पर एक प्रतिक्रिया खूब वायरल है। वो यह कि ब्राह्मण समाज ब्राह्मण के साथ, लेकिन जूस वाले सिंधी के साथ सिंधी समाज अभी तक सामने नहीं आये, फिर क्यों सिंधी सिंधी करते हैं आप, बंद करो ये सिंधी होने का नाटक, दुख में सिंधी का साथ नहीं देते और सिन्धुत्व की बात करते हैं सब।
क्योंकि हम शिक्षक हैं
बरसात व बाढ की आषंका को देखते हुए स्कूलों में दो दिन छुट्टी घोशित की गई, मगर अध्यापकों व स्टाफ को स्कूल जाना होगा। उनकी छुट्टी नहीं है। इस पर अध्यापिका व अजयमेरू प्रेस क्लब की पूर्व महासचिव सुश्री सुमन शर्मा ने अध्यापकों के दर्द को बयां करते हुए एक बहुत मार्मिक पोस्ट साझा की है। आप भी देखिएः-
क्योंकि हम शिक्षक हैं
हम हर जोखिम उठा सकते हैं, क्योंकि हम शिक्षक हैं।
अधिकारों की बात हम नहीं कर सकते, क्योंकि हम शिक्षक हैं।
कर्तव्य सभी पूरे करने होंगे, क्योंकि हम शिक्षक हैं।
हम समाज के प्रति कृतसंकल्प हैं, क्योंकि हम शिक्षक हैं।
हमारा वजूद रहे ना रहे, हमें औरों को बचाना होगा, क्योंकि हम शिक्षक हैं।
आपदा की हकीकत को समझना होगा, क्योंकि हम शिक्षक हैं।
हमारा घर परिवार बच्चे कहां, क्योंकि हम शिक्षक हैं।
हम फौलाद के बने हैं, क्योंकि हम शिक्षक हैं।
हमें सर्दी नहीं लगती क्योंकि हम शिक्षक हैं।
हमारे घरों में पानी नहीं भरता क्योंकि हम शिक्षक हैं।
सैलाब भी हमें क्या डुबोएगा, हम तो शिक्षक हैं।
हमें चुप रहना है, क्योंकि हम शिक्षक हैं।
हमारी इतनी ही अहमियत है कि हम मात्र शिक्षक हैं।
जिला-प्रशासन भी वाकिफ है कि हम मात्र शिक्षक हैं।
हमारी सुरक्षा जरूरी नहीं, क्योंकि हम मात्र शिक्षक हैं।
आपदा को अवसर बना कर बेवजह कटाक्ष
बरसात की आपदा को लेकर एक ओर जहां कुछ लोग विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर तंज कस रहे हैं, वहीं चर्चित भाजपा कार्यकर्ता पुश्पेन्द्र सिंह ने देवनानी की तरफदारी करते हुए एक पोस्ट साझा की है। प्रस्तुत है उसका संक्षिप्त रूपः-
आपदा को अवसर बनाकर राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष व अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी पर बेवजह कटाक्ष की राजनीति सिर्फ ईष्या, द्वेष व अहंकार का अभिमान मात्र है। जनता को भाजपा के प्रति गुमराह करने की एक स्क्रिप्ट बनाई गई है। और यह सब कब हो रहा है, जब अजमेर में विकास को गति मिलने वाली है। मौके को भुनाने की कोशिश जलकुंभी को लेकर भी की गई थी। मौके को भुनाने के लिए राजनीति करने के लिए कुछ लोग निकल चले भाजपा शासन-प्रशासन पर कलंक लगाने के लिए। पर सारे मंसूबों पर पानी फेरते हुए देवनानी ने शासन और प्रशासन के साथ मिल कर आनासागर पर आई विपदा पर बड़ी सूझबूझ और निष्ठा के साथ विजय हासिल कर आनासागर के प्राण बचाए।
एक बात पूछना चाहता हूं आपने चिंता की आड़ लेकर रोष प्रदर्शन तो कर दिया पर क्या समस्या का समाधान हो जाने पर एक धन्यवाद तक नहीं दिया।