रविवार, 26 अगस्त 2012

चेन स्नेचरों का गुस्सा निकाला आम जनता पर

पुलिस कप्तान राजेश मीणा

इन दिनों पुलिस चेन स्नेचरों से बेहद परेशान है। चेन स्नेचरों को नहीं पकड़ पाने पर हो रही फजीहत से दुखी हो कर पुलिस कप्तान के आदेश पर शनिवार को शहर में कंपोजिट नाकाबंदी की गई। मार्टिंडल ब्रिज, रोडवेज बस स्टैंड, चौपाटी, वैशाली नगर, रामगंज, इंडिया मोटर सर्किल सहित अन्य क्षेत्रों में शहर की पूरी पुलिस को सीओ स्तर के अधिकारियों के नेतृत्व में सर्किल के सभी थाना प्रभारियों को तैनात किया गया। उससे भी बड़ी नाकामी ये रही कि इस पूरी कवायद के बाद एक भी चेन स्नेचर नहीं पकड़ा गया,  जो कि पकड़ा भी नहीं जाना था। भला चेन स्नेचर इतने बेवकूफ थोड़े ही हैं कि ऐसी नाकाबंदी में शहर से गुजरेंगे। और वैसे भी इस नाकाबंदी से कौन सा पता लगना था कि कौन चेन स्नेचर है। मगर पुलिस कप्तान का अदेश था, सो उसकी पालना करनी ही थी।
पुलिस की इस कवायद से चेन स्नेचरों में खौफ हुआ हो न हुआ हो, आम जनता में जरूर हो गया। जिस पुलिस से आम आदमी को सुरक्षा का अहसास होना चाहिए, उसी से भय का वातावरण बनाया गया। पुलिस ने बाकायदा अपने प्रसिद्ध पुलिसिया तरीके से वाहनों को रोका और वाहन चालकों के साथ जम कर बदतमीजी की। मानो चेन स्नेचरों का गुस्सा आम लोगों पर निकाल रहे हों। विशेष रूप से उन युवतियों के साथ पुलिस जवानों के साथ नई नई भर्ती हुई लड़कियों ने सबसे ज्यादा घटिया रवैया अपनाया। वे इतनी अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे, मानों इन्हीं युवतियों में उन्हें कोई चेन स्नेचर नजर आ गया हो। जाहिर है पुलिस के इस रवैये से आम लोगों में रोष होना ही था। कई जगह झड़पें भी हुई। लोगों का आरोप था कि पुलिस का वाहनों को रोकने का तरीका गलत था। कई लोग हादसे का शिकार होने से बचे। भले ही पुलिस यह कह कर जिन लोगों के कागजात पूरे नहीं थे, उनके चालान किए गए, बचने की कोशिश करे, मगर सवाल ये उठता है कि यह चेन स्नेचरों को पकडऩे का अभियान था या यातायात पुलिस का यातायात सप्ताह? अफसोस की पुलिस की इस आतंक फैलाने वाली कार्यवाही की किसी भी जनप्रतिनिधि ने खिलाफत नहीं की। अलबत्ता कांग्रेस पार्षद मुबारक अली चीता ने जरूर विरोध किया, मगर वह जायज इस कारण नहीं माना गया क्योंकि वे अपने किसी परिचित का वाहन पकडऩे की वजह से अटक रहे थे। उनके खिलाफ बाकायदा रपट भी डाली गई।
लब्बोलुआब, पुलिस की इस कार्यवाही का नतीजा ये निकला कि उसे सौ से अधिक चालान करने की कमाई हुई और पचास वाहन सीज किए गए। और एक अहम सवाल, क्या दिन ब दिन गिरती पुलिस की छवि को सुधारने के लिए आए दिन होने वाली पुलिस सेमिनार का पुलिस अधिकारियों पर ही कोई असर नहीं होता? ऐसा करके पुलिस कप्तान ने अपने मातहतों को क्या संदेश देने की कोशिश की?
-तेजवानी गिरधर

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