हाल ही दैनिक भास्कर में छात्रसंघ चुनाव के सिलसिले में एक रोचक किस्सा छपा है। इसमें खुद अजमेर बार अध्यक्ष राजेश टंडन ने खुलासा किया है कि मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनके छात्र जीवनकाल में कैसे संबंध थे। इसमें उन्होंने बताया है कि वर्ष 1974 में उन्होंने जीसीए छात्र संघ अध्यक्ष चुनाव का चुनाव लड़ा था, लेकिन अशोक गहलोत ने हरवा दिया। उन्होंने बताया है कि उस जमाने में पूर्व विधायक स्वर्गीय केसरी चंद चौधरी की तूती बोलती थी, मगर तत्कालीन विधायक स्वर्गीय किशन मोटवानी से उनका छत्तीस का आंकड़ा था। चौधरीजी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी से मुलाकात करवाई और जीत का आशीर्वाद दिलवाया। उधर मोटवानीजी ने शांतिराज सिंघवी को मैदान में उतार दिया। सिंघवी जोधपुर के रहने वाले थे और अशोक गहलोत के दोस्त थे। गहलोत उस समय एनएसयूआई के अध्यक्ष हुआ करते थे और टंडन यूथ काग्रेंस के शहर जिला अध्यक्ष। सिंघवी ने चुनाव प्रचार के लिए गहलोत को अजमेर बुलवा लिया। जब गहलोत से उन्होंने आग्रह किया कि मैं भी तो कांग्रेसी हूं, आप मेरा सहयोग नहीं करोगे क्या, इस पर गहलोत ने से कहा कि वे व्यक्तिगत संबंधों की वजह से यहां आए हैं और सिंघवी के पक्ष में ही चुनाव प्रचार करूंगा। आखिर उस चुनाव में टंडन को हार का सामना करना पड़ा था।
टंडन के इस खुलासे को राजनीतिक हलकों में टंडन व गहलोत के मौजूद संबंधों से जोड़ कर देखा जा रहा है। ज्ञातव्य है कि टंडन वरिष्ठ और सक्रिय कांग्रेस नेता हैं, मगर गहलोत ने उन्हें किसी भी तरह से उपकृत नहीं किया है। समझा जाता है कि उनके तभी के संबंधों को अभी तक निभाया जा रहा है। ये तो गनीमत है कि टंडन ने अपने बलबूते बार अध्यक्ष पद फिर से हासिल कर लिया है, वरना कांग्रेस की ओर से तो उन्हें हाशिये पर ही डाला हुआ है।
टंडन के कथित सरकार विरोधी रवैये को भी गहलोत के पुराने संबंधों ेसे जोड़ कर देखा जा रहा है। ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों उर्स की बदइंतजामियों को लेकर टंडन ने कलेक्ट्रेट पर धरना दिया तो संगठन की ओर से यही कहा गया कि वे निजी तौर पर धरना दे रहे हैं, जिसका कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है। टंडन के इस कदम को सरकार विरोधी भी करार दिया गया, हालांकि टंडन का यह कहना था कि वे आम जनता के हित में प्रशासनिक शिथिलता पर प्रहार कर रहे हैं।
आपको याद होगा कि हाल ही जब शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता ने कांग्रेस मानसिकता के वकीलों पर टिप्पणी की तो उस पर टंडन ने कड़ा ऐतराज किया था। इस पर रलावता के समर्थकों ने टंडन पर आरोपों की झड़ी लगा दी। इस सिलसिले में उन्होंने गहलोत को पत्र लिख कर बताया कि उर्स के दौरान जिला प्रशासन ने व्यवस्थाएं नहीं की, लिहाजा उपवास किया। आनासागर के राम प्रसाद घाट पर जायरीन की हिफाजत के लिए गोताखोरों की तैनाती, तारागढ़ पर पेयजल की मांग की, इसे रलावता गहलोत सरकार विरोधी कदम बता रहे हैं। टंडन ने गहलोत से आग्रह किया है कि वे संगठन में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को यह जरूर समझाएं कि कार्यकर्ता प्रशासनिक खामी को उजागर करता है तो उसे गहलोत विरोधी करार देने से बाज आएं। टंडन ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा कि महेंद्रसिंह रलावता से यह पूछा जाना चाहिए कि व्यवस्थाओं के लिए मेरे द्वारा किए गए विरोध सरकार विरोधी कदम हैं तो मुख्यमंत्री के काफिले के साथ अपनी कार उर्स के दौरान दरगाह तक जाने की जिद, नहीं जाने देने पर महफिल खाने में सीढिय़ों पर धरना देकर प्रशासनिक खामियों का रोना रोने, पुलिस व प्रशासनिक अफसरों का सार्वजनिक घेराव, बदतमीजी करने, किशनगढ़ हवाई पट्टी पर महिला कलेक्टर को गाड़ी से उतार कर आवेश में दुव्र्यवहार करने को क्या कहा जाए? सरकार प्रेम! टंडन की बात में दम तो है, मगर हाल ही उन्होंने छात्रसंघ चुनाव को लेकर को खुलासा किया है, लोग उसे ताजा घटनाक्रम से जोड़ कर देख रहे हैं।
-तेजवानी गिरधर
टंडन के इस खुलासे को राजनीतिक हलकों में टंडन व गहलोत के मौजूद संबंधों से जोड़ कर देखा जा रहा है। ज्ञातव्य है कि टंडन वरिष्ठ और सक्रिय कांग्रेस नेता हैं, मगर गहलोत ने उन्हें किसी भी तरह से उपकृत नहीं किया है। समझा जाता है कि उनके तभी के संबंधों को अभी तक निभाया जा रहा है। ये तो गनीमत है कि टंडन ने अपने बलबूते बार अध्यक्ष पद फिर से हासिल कर लिया है, वरना कांग्रेस की ओर से तो उन्हें हाशिये पर ही डाला हुआ है।
टंडन के कथित सरकार विरोधी रवैये को भी गहलोत के पुराने संबंधों ेसे जोड़ कर देखा जा रहा है। ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों उर्स की बदइंतजामियों को लेकर टंडन ने कलेक्ट्रेट पर धरना दिया तो संगठन की ओर से यही कहा गया कि वे निजी तौर पर धरना दे रहे हैं, जिसका कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं है। टंडन के इस कदम को सरकार विरोधी भी करार दिया गया, हालांकि टंडन का यह कहना था कि वे आम जनता के हित में प्रशासनिक शिथिलता पर प्रहार कर रहे हैं।
आपको याद होगा कि हाल ही जब शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता ने कांग्रेस मानसिकता के वकीलों पर टिप्पणी की तो उस पर टंडन ने कड़ा ऐतराज किया था। इस पर रलावता के समर्थकों ने टंडन पर आरोपों की झड़ी लगा दी। इस सिलसिले में उन्होंने गहलोत को पत्र लिख कर बताया कि उर्स के दौरान जिला प्रशासन ने व्यवस्थाएं नहीं की, लिहाजा उपवास किया। आनासागर के राम प्रसाद घाट पर जायरीन की हिफाजत के लिए गोताखोरों की तैनाती, तारागढ़ पर पेयजल की मांग की, इसे रलावता गहलोत सरकार विरोधी कदम बता रहे हैं। टंडन ने गहलोत से आग्रह किया है कि वे संगठन में जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को यह जरूर समझाएं कि कार्यकर्ता प्रशासनिक खामी को उजागर करता है तो उसे गहलोत विरोधी करार देने से बाज आएं। टंडन ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा कि महेंद्रसिंह रलावता से यह पूछा जाना चाहिए कि व्यवस्थाओं के लिए मेरे द्वारा किए गए विरोध सरकार विरोधी कदम हैं तो मुख्यमंत्री के काफिले के साथ अपनी कार उर्स के दौरान दरगाह तक जाने की जिद, नहीं जाने देने पर महफिल खाने में सीढिय़ों पर धरना देकर प्रशासनिक खामियों का रोना रोने, पुलिस व प्रशासनिक अफसरों का सार्वजनिक घेराव, बदतमीजी करने, किशनगढ़ हवाई पट्टी पर महिला कलेक्टर को गाड़ी से उतार कर आवेश में दुव्र्यवहार करने को क्या कहा जाए? सरकार प्रेम! टंडन की बात में दम तो है, मगर हाल ही उन्होंने छात्रसंघ चुनाव को लेकर को खुलासा किया है, लोग उसे ताजा घटनाक्रम से जोड़ कर देख रहे हैं।
-तेजवानी गिरधर
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