गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

अकबर के किले से ही ईस्ट इंडिया कंपनी को मिली भारत में व्यापार की अनुमति


राजकीय संग्रहालय अर्थात अकबर के किले में प्रारंभ लाइट और साउंड शो के मौके पर आइये जानें इस किले के बारे में कि इसका इतिहास कितना गौरवशाली है।
अजमेर शहर के केन्द्र में नया बाजार के पास स्थित इस किले का निर्माण अकबर ने 1571 से 1574 ईस्वी में राजपूतों से होने वाले युद्धों का संचालन करने और ख्वाजा साहब के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए करवाया था। अकबर ने यहां से समस्त दक्षिणी पूर्वी व पश्चिमी राजस्थान को अपने अधिकार में कर लिया था। जहांगीर ने भी 1613 से 1616 के दौरान यहीं से कई सैन्य अभियानों का संचालन किया। इसे राजपूताना संग्रहालय और मैगजीन के नाम से भी जाना जाता है। इसमें चार बड़े बुर्ज और 54 फीट व 52 फीट चौड़े दरवाजे हैं। यह महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल भारतीय राजनीति में अहम स्थान रखता है, क्योंकि यहीं पर सम्राट जहांगीर ने दस जनवरी 1916 ईस्वी को इंग्लेंड के राजा जॉर्ज पंचम के दूत सर टामस रो को ईस्ट इंडिया कंपनी को हिंदुस्तान में व्यापार करने की अनुमति दी थी। टामस रो यहां कई दिन जहांगीर के साथ रहा। ब्रिटिश काल में 1818 से 1863 तक इसका उपयोग शस्त्रागार के रूप में हुआ, इसी कारण इसका नाम मैगजीन पड़ गया। वर्तमान में यह संग्रहालय है। पूर्वजों की सांस्कृतिक धरोहर का सहज ज्ञान जनसाधारण को कराने और संपदा की सुरक्षा करने की दृष्टि से भारतीय पुरातत्व के महानिदेशक श्री मार्शल ने 1902 में लार्ड कर्जन के अजमेर आगमन के समय एक ऐसे संग्रहालय की स्थापना का सुझाव रखा था, जहां जनसाधारण को अपने अतीत की झांकी मिल सके। अजमेर के गौरवमय अतीत को ध्यान में रखते हुये लार्ड कर्जन ने संग्रहालय की स्थापना करके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और ब्रिटिश सरकार के तत्कालीन एजेन्ट श्री कालविन के अनुरोध पर कई राज्यों के राजाओं ने बहुमूल्य कलाकृतियां उपलब्ध करा संग्रहालय की स्थापना में अपना अपूर्व योग दिया। संग्रहालय की स्थापना 19 अक्टूबर, 1908 को एक शानदार समारोह के साथ हुई। संग्रहालय का उद्घाटन ब्रिटिश सरकार के तत्कालीन एजेन्ट श्री कालविन ने किया और उस समारोह में विभिन्न राज्यों के राजाओं के अतिरिक्त अनेकों विदेशी भी सम्मिलित हुये। पुरातत्व के मूर्धन्य विद्वान पं. गौरी शंकर हीराचन्द ओझा को संग्रहालय के अधीक्षक पद का भार सौंपा गया और ओझा जी ने अपनी निष्ठा का परिचय ऐसी बहुमूल्य कलाकृतियां एकत्रित कर दिया कि जिसके परिणामस्वरूप अजमेर का संग्रहालय दुर्लभ सामग्री उपलब्ध कराने की दृष्टि से देशभर में धाक जमाये हुए है। इसमें अनेक प्राचीन शिलालेख, राजपूत व मुगल शैली के चित्र, जैन मूर्तियां, सिक्के, दस्तावेज और प्राचीन युद्ध सामग्री मौजूद हैं। सन् 1892 में इसके दक्षिणी पूर्वी बुर्ज में नगरपालिका का दफ्तर खोला गया।
-तेजवानी गिरधर

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