सोमवार, 6 मई 2013

पाक जायरीन को अनुमति न देना आसान नहीं


पाकिस्तान में भारतीय कैदी सरबजीत की हत्या के बाद बिगड़े माहौल में पाकिस्तान से ख्वाजा साहब के उर्स में आने वाले जायरीन जत्थे को अनुमति न देने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। अब तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी मुखर हो गया है। राष्ट्र रक्षा संकल्प समिति ने तो पाक जायरीन के विरुद्ध हस्ताक्षर अभियान ही छेड़ दिया है, जिसे के शनै: शनै: समर्थन मिल रहा है। कुछ मुस्लिम भी खुल कर सामने आ गए हैं। जाहिर है ऐसे में प्रशासन पसोपेश में है कि वह राज्य व केन्द्र सरकार को क्या रिपोर्ट भेजे? क्या वह हालात बिगडऩे के मद्देनजर अपनी तरफ से हाथ खड़े करता है या फिर सरकार के फैसले की अनुपालना किसी भी सूरत में करने को तैयार है, यह जल्द ही पता लग जाएगा।
वस्तुत: शुरू में इक्का दुक्का संगठनों ने फौरी तौर पर विरोध जताया था। इसके बाद भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी ने बाकायदा गृह राज्य मंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल की सदारत हुई तैयारी बैठक में आवाज उठाई, मगर वह नक्कारखाने में तूती के समान अनसुनी कर दी गई। नगर निगम मेयर कमल बाकोलिया ने तो इसे अनुचित भी बताया। लेकिन बात उठी तो दूर तक ले जाने की तैयारी शुरू हो गई।
राष्ट्र रक्षा संकल्प समिति ने कार्यक्रम संयोजक अमित भंसाली के नेतृत्व में जन भावना को अभियान की शक्ल दी और सरबजीत की हत्या के विरोध में शुरू किया हस्ताक्षर अभियान शुरू करवा कर पाकिस्तान को शत्रु राष्ट्र घोषित करने और उर्स में पाक जायरीन को अनुमति न देने पर जोर देना शुरू कर दिया। आरएसएस के महानगर संघ चालक सुनील दत्त जैन ने साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तान लगातार भारत की अस्मिता पर कुठाराघात कर रहा है। उन्होंने केंद्र एवं राज्य सरकार से मांग की है कि पाकिस्तान से आने वाले जायरीन के प्रवेश पर तत्काल पाबंदी लगाई जाए। गगवाना सरपंच असलम पठान ने भी सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि पाक से सभी रिश्ते तोड़ते हुए वहां से आने वाले जायरीन नहीं आने देना चाहिए। गेगल सरपंच अब्दुल जलील पाक सरकार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की पैरवी की। उग्रपंथी तेवर वाले भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीरज जैन ने तो चेतावनी ही दे दी है कि पाक जायरीन को अनुमति दी तो परिणाम घातक हो सकते हैं। कुल मिला कर विरोध काफी मुखर हो चुका है। ऐसे में प्रशासन के लिए एक और मुसीबत हो गई है।
वैसे जानकारों का मानना है कि भले ही निचले स्तर पर इतना विरोध हो रहा है, मगर जायरीन को न आने देने का फैसला करना सरकार के लिए बहुत आसान नहीं होगा। यह केवल पाकिस्तानियों को आने देने का मसला मात्र नहीं है, इसके साथ अंतरराष्ट्रीय मानकों पर दो देशों के बीच के संबंधों की बुनियाद भी जुड़ी हुई है। पाकिस्तान स्थित हिंदू तीर्थ स्थलों पर भारतीयों के जाने का मसला भी जुड़ा हुआ है। वोट बैंक की राजनीति तो परोक्ष रूप से जुड़ी हुई ही है। ऐसे में लगता ये ही है कि सरकार हरसंभव कोशिश यही करेगी कि जायरीन जत्थे के आने में बाधा न डाली जाए। भले ही उसके लिए उसे अतिरिक्त सुरक्षा इंतजाम करने पड़ें। कड़ी सुरक्षा में जियारत करवाई जाए और ठहराये जाने वाले स्थल के बाहर इधर-उधर घूमने पर पाबंदी लगाई जाए। बाकी इतना तो तय है कि यदि वे आए तो विरोध प्रदर्शन जरूर होगा। वह कितना उग्र होगा, इस बारे में अभी कुछ कहना असंभव है। वैसे संभव ये भी है कि वह पाकिस्तान को यह संदेश भेजे कि फिलवक्त जो माहौल है, उसमें जायरीन आए तो कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होगी। ये तो हुई भारतीय पक्ष की बात, मगर अव्वल तो पहले यह पाकिस्तान तय करेगा कि वह ताजा माहौल में अपने नागरिकों को भारत भेजने की अनुमति देता है या नहीं। अब तक तो इस बारे में कोई सूचना ही नहीं मिली है कि कितने जायरीन आना चाहते हैं और उनके आने का कार्यक्रम क्या है।
-तेजवानी गिरधर

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