शनिवार, 29 जून 2013

रमा पायलट को अजमेर उत्तर से लड़ाने का मानस?

यह शीर्षक पढ़ कर बेशक आप इसे आला दर्जे की गप्प ही मानेंगे। और वह भी निहायत ही वाहियात। मगर यह कानाफूसी इन दिनों अजमेर की चुनावी फिजा में पसरने लगी है। असल में इस किस्म की सुरसुराहट कोई छह माह पहले ही शुरू हो गई थी, मगर ये पंक्तियां लिखने वाला ऐसी गप्प आपसे शेयर करके अपनी खिल्ली उड़वाने से बचना रहा था। मगर इन दिनों जैसे ही यह कानाफूसी ज्यादा पसरी तो इस बाबत चंद पंक्तियां लिखने की इच्छा को नहीं रोक पाया। ताकि सनद रहे।
कांग्रेसियों में कानाफूसी है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्वर्गीय राजेश पायलट की धर्मपत्नी व अजमेर के सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट की माताजी श्रीमती रमा पायलट को अजमेर उत्तर से विधानसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है, इस बिना पर कि वे सिंधी पृष्ठभूमि से हैं। इस कानाफूसी को तब और बल मिला जब दैनिक भास्कर ने कांग्रेस पर्यवेक्षक राजेश खेरा की ओर से अजमेर में फीड बैक लेने वाले दिन खबर शाया की कि पायलट खेमा किसी सिंधी महिला को चुनाव लड़ाने पर विचार कर रहा है, मगर उसने नाम उजागर नहीं किया है। इसमें दो बातें हो सकती हैं। एक, या तो रिपोर्टर को वाकई पता नहीं था कि वह सिंधी महिला कौन है? दूसरा ये कि उसे उसके सूत्र ने बता तो दिया था कि वह महिला कौन है, मगर नाम उजागर करने से इंकार कर दिया था। जाहिर है कि जब खबर छपी तो लोगों ने कयास लगाना शुरू कर दिया। पहला कयास ये था कि शायद पिछले कुछ दिनों से सक्रिय पार्षद रश्मि हिंगोरानी हों, मगर उन्होंने न जाने क्यों दावा ही पेश नहीं किया। उनके अतिरिक्त राजकुमारी गुलाबानी व मीरा मुखर्जी का नाम भी आया, मगर वे बीते जमाने की बात हो गईं। किसी जमाने की दावेदार कांता खतूरिया का नाम भी आया, मगर वे भी भूली-बिसरी हो गईं हैं। तीर में तुक्के और भी लगाए जा रहे हैं, मगर आखिरकार कांग्रेसियों में ही चर्चा शुरू हो गई है कि वे श्रीमती रमा पायलट हो सकती हैं, जिनके बारे में न जाने क्यों यह चर्चा है कि वे सिंधी परिवार से रही हैं, जबकि इसकी पुष्टि कहीं से नहीं हो रही। हो सकता है ये एक शगूफा ही हो, ताकि उसकी प्रतिक्रिया के आधार पर आगे की रणनीति बनाई जाए। कुछ सिंधी दावेदारों का मानना है कि यह एक साजिश भी हो सकती है, ताकि रमा पायलट का नाम सामने आने पर वे दावा करना ही छोड़ दें और बाद में किसी गैर सिंधी को मैदान में उतार दिया जाए।
खैर, अपना मानना है कि यदि श्रीमती रमा पायलट सिंधी पृष्ठभूमि से नहीं भी हैं तो भी वे ऐसी शख्सियत हैं कि अगर कांग्रेस ने उन्हें प्रोजेक्ट किया तो दमदार प्रत्याशी साबित होंगी। खुद अपनी पहचान के कारण और अपने पुत्र सचिन पायलट की वजह से भी। उसमें सिंधी होने की कोई खास जरूरत नहीं है। अगर सिंधी हैं तो सोने में सुहागा हो जाएगा। कहने की जरूरत नहीं कि पायलट परिवार इलैक्शन मैनेजमेंट में कितना माहिर है। किरण माहेश्वरी उसी मैनेजमेंट का ही तो शिकार हुई थीं।
बहरहाल, यह लेखक आपसे माफी चाहते हुए यह कानाफूसी आपसे शेयर कर रहा है कि इसे गप्पी न माना जाए। इसने तो केवल आपको वह कानाफूसी परोसी है, जो कि इन दिनों चल रही है।
-तेजवानी गिरधर

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