सोमवार, 26 अगस्त 2013

चंदा एकत्रित करने की जिम्मेदारी में भी राजनीति?

विधानसभा चुनाव में भाजपा के अधिकृत प्रत्याशियों के लिए पार्टी की ओर से इस बार चुनाव खर्च जुटाने की नीति के तहत विधानसभा वार जिम्मेदारी दिए जाने में भी राजनीति होने की गंध आ रही है। आम तौर पर फार्मूला यही बताया जा रहा है कि यह जिम्मेदारी विधायक अथवा पिछले चुनाव में हारे पार्टी प्रत्याशी को दी जा रही है, मगर अजमेर जिले में इस फार्मूले में हेरफेर हुई है। कुछ अपेक्षित नेताओं की बजाय अन्य को जिम्मेदारी दिए जाने से कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। अब स्थानीय भाजपा नेता और राजनीति के जानकार इस माथापच्ची में लगे हैं कि आखिर इसकी वजह क्या हो सकती है।
जानकारी के अनुसार ब्यावर में विधायक शंकर सिंह रावत, अजमेर दक्षिण में विधायक श्रीमती अनिता भदेल, अजमेर उत्तर में विधायक वासुदेव देवनानी के अतिरिक्त नसीराबाद में पूर्व विधायक सांवरलाल जाट व मसूदा में नवीन शर्मा को जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन किशनगढ़ में पूर्व विधायक भागीरथ चौधरी की बजाय सुरेश टाक, पुष्कर में भंवर सिंह पलाड़ा की बजाय भगवती प्रसाद सारस्वत, केकड़ी में रिंकू कंवर राठौड़ की बजाय किशनगोपाल कोगटा को जिम्मा दिया गया है। इससे यह असमंजस उत्पन्न हो गया है कि आखिर ऐसा क्यों किया गया है? क्या इसको टिकट वितरण से जोड़ कर देखा जा सकता है? स्वाभाविक है कि जिन अपेक्षित नेताओं को जिम्मा नहीं दिया गया है, उनमें खलबली मची हुई है। कहीं उन्हें इसके माध्यम से कोई इशारा तो नहीं दिया गया है? अगर उनके मन में यह संदेह उत्पन्न होता है कि कहीं उनकी टिकट की दावेदारी में कोई बाधा तो नहीं है, उचित ही है। जिनको अनपेक्षित जिम्मेदारी दी गई है, उनके मन में टिकट मिलने की आस भी जागे तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
-तेजवानी गिरधर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें