रविवार, 2 जनवरी 2011

अजमेर को मंजू राजपाल, मंजू राजपाल को अजमेर सूट करेगा

भीलवाड़ा से अजमेर स्थानांतरित हो कर आ रही जिला कलेक्टर मंजू राजपाल के आगामी 6 दिसम्बर को कार्यभार संभालने की संभावना है। उनका पदापर्ण कैसा रहेगा, इसको लेकर अभी से चर्चा शुरू हो गई है। कुछ का ख्याल है कि अजमेर में चूंकि कपड़ा फाड़ राजनीति है, इस कारण उन्हें दिक्कत आएगी तो कुछ मानते हैं कि चूंकि यहां कपड़ा फाड़ राजनीति है, इसी कारण उनको अजमेर सूट करेगा। कुछ ऐसे भी हैं, जिनकी सोच है कि अजमेर को मंजू राजपाल और मंजू राजपाल को अजमेर सूट करेगा।
असल में अजमेर ऐसा टिपिकल शहर है कि यदि ट्रिक से चला जाए तो यहां लोगों को चलाना बेहद आसान काम है। वजह सिर्फ इतनी है कि विपक्ष में चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, उनसे कोई खतरा नहीं होता। अलबत्ता आपस में कपड़े जरूर फाड़ते हैं, मगर प्रशासन के कपड़े सलामत रहते हैं। एक अर्थ में देखा जाए तो यहां विपक्ष नाम मात्र का है। और है भी तो केवल अखबारबाजी में। धरातल पर कोई खास गडबड़ नहीं होती। इस कारण यहां विपक्ष को सेट करने जैसी कोई समस्या नहीं है। अलबत्ता सत्तारूढ़ दल के लोगों को जरूर सैट करना पड़ता है। और अगर उन्हें सैट न किया तो वे ऐसी भूमिका निभाते हैं, जैसी कि विपक्ष भी नहीं अदा कर सकता। अब न्यास सचिव जनाब अश्फाक हुसैन को ही लीजिए। चूंकि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खास हैं, इस कारण सत्तारूढ़ दल कांग्रेस को सैट करने की जरूरत नहीं समझी। नतीजतन कांग्रेस ने उनका जीना हराम कर रखा है। पहले तो उन्हें छेड़ा और थोड़ा छिड़े तो हंगामा करवा दिया। यानि जो ड्यूटी भाजपा की थी, वो कांग्रेस ने पूरी कर दी। भाजपा तो अब सोच रही है कि कुछ किया जाना चाहिए। मगर दिक्कत ये है कि करे कौन, शहर अध्यक्ष शिवशंकर हेडा तो दिन काट कर रहे हैं। बहरहाल, अश्फाक हुसैन पर बरस रही आग की आंच तो न्यास सदर व जिला कलेक्टर राजेश यादव तक आती दिखाई दे रही थी, मगर उनका तबादला हो गया। ये वही राजेश यादव हैं, जिनके आने पर यही माना गया था कि उन्हें भाजपाइयों को दुरुस्त करने को भेजा गया है। वे पाली में सत्तारूढ दल भाजपा के एक नेता को थप्पड़ मारने के कारण बड़े चर्चित थे। मगर आने पर उन्हें पता लगा कि यहां तो कुछ करने की जरूरत ही नहीं है। रहा सवाल कांग्रेसियों का तो उनमें से कुछ सैट किया और कुछ कुढ़ते रहे, मगर कुछ कर नहीं पाए। और बड़े सुकून के साथ उनका कार्यकाल निकल गया। अब मंजू राजपाल की बारी है। यादव के लिए तो जरूर अजमेर नया था, लेकिन मंजू राजपाल अजमेर से सुपरिचित हैं और अजमेर के कुछ लोग उनसे अच्छी तरह सुपरिचित हैं। वे प्रोबशनरी पीरियड यहां काट चुकी हैं। तब उन्होंने अजमेर की नब्ज जानने वाले अश्फाक हुसैन से जमीनी तालीम ली थी। इस कारण मात नहीं खाएंगी। हालांकि बताते ये हैं कि अजमेर उन्हें भीलवाड़ा में मात खाने के कारण ही भेजा गया है। वहां गुर्जर आंदोलन से निपटने में कामयाब नहीं हो रही थीं तो राजसमंद के कलेक्टर औंकारसिंह को विशेष रूप से भेजा गया और उन्होंने दो दिन बंद रहा रेल यातायात शुरू करवाया। उनकी सफलता को देखते हुए ही उन्हें वहीं पर लगा दिया गया है। रहा सवाल अजमेर का तो यहां के गुर्जर आंदोलन का हश्र सबसे ने देख ही लिया। कांग्रेसियों ने उसकी हवा निकाल दी। लिहाजा मंजू राजपाल को कोई खास मशक्कत नहीं करनी है। हां, राज(कुमार जय)पाल से जरूर लाइजनिंग बैठानी होगी। जब हंगामा करने वाले से ही दोस्ती कर लेंगी तो हंगामा करेगा कौन? रहा सवाल विकास का तो केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट से ट्यूनिंग होना जरूरी है। राजेश यादव की ट्यूनिंग नहीं थी, इस कारण थोड़ी-बहुत दिक्कत आ रही थी, मगर उम्मीद है कि मंजू राजपाल के साथ ऐसा नहीं होगा। कदाचित उन्हीं की पसंद के मुताबिक ही उन्हें यहां लगाया गया हो। और... और मंजू राजपाल को अजमेर व अजमेर को मंजू राजपाल सूट करेंगी।

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