बुधवार, 9 फ़रवरी 2011

अपने ही मंत्री की तौहीन की रघु व सिनोदिया ने

जिले के दो कांग्रेसी विधायक डॉ. रघु शर्मा व नाथूराम सिनोदिया मंगलवार को हुई जिला परिषद की साधारण सभा का महज इस कारण बायकाट कर गए क्योंकि एक घंटे के इंतजार के बाद भी बैठक शुरू नहीं हुई। बैठक शुरू होने में देरी पर भले ही उन्होंने भाजपा की जिला प्रमुख श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा पर यह आरोप लगा कि उन्होंने जिला परिषद को घर की दुकान बना रखा है, मगर सच्चाई ये है कि खुद उनकी ही सरकार के मंत्री रणवीर सिंह गुड्ढ़ा के विलंब से आने की वजह से बैठक देरी से शुरू हुई थी, न कि जिला प्रमुख ने अपनी ओर से देरी की थी। भाजपा की होने के बावजूद कांग्रसी मंत्री के विलंब हो जाने पर उन्होंने तो ऐतराज नहीं किया और विलंब को सहजता से लिया। मगर कांग्रेस के विधायकों को यह बर्दाश्त नहीं हुआ।
मौका-ए-हालात से यह भी स्पष्ट है कि बैठक में देरी होने का कारण वे भलीभांति जानते थे और ये उन्हें ये भी पता था कि जिस वक्त बायकाट कर रहे हैं, उस वक्त गुड्ढ़ा जिला प्रमुख के चैंबर में बैठे हैं, इसके बावजूद उनसे मिलने नहीं गए। ऐसा करके उन्होंने जिला प्रमुख की नहीं, बल्कि अपने ही मंत्री की तौहीन की है। उनका जिला प्रमुख पर लगाया गया आरोप प्रत्यक्षत: राजनीतिक था, मगर सच्चाई ये है कि उन्हें यह बात नागवार गुजरी कि उनकी बजाय मंत्री जी जिला प्रमुख को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। इसको सीधे तौर पर तो कह नहीं सकते थे, क्योंकि ऐसा कहने पर खुद उनकी ही तौहीन होती, इस कारण बायकाट का आरोप जिला प्रमुख को निशाने पर लेकर मढ़ दिया।
असल में सबको पता है कि गुड्ढ़ा श्रीमती पलाड़ा के मुंह बोले भाई बने हुए हैं और जिला प्रमुख चुने जाने पर भी बधाई देने आए थे। तब ही उन्होंने साफ कर दिया था कि यूं भले ही वे प्रतिद्वंद्वी पार्टियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, मगर दुनिया में रिश्तों की भी कोई अहमियत होती है। भाई-बहन के रिश्ते के कारण ही कदाचित वे बैठक में आने से पहले औपचारिकता में सीधे जिला प्रमुख के चैंबर में चले गए। और जिला प्रमुख ने भी औपचारिकता व सम्मान की खातिर में बैठक देरी से शुरू करवाई। बस इसी बात को दोनों विधायक सहन नहीं कर पाए, और बैठक का बायकाट कर दिया। उनके जिला प्रमुख पर जिला परिषद को घर की दुकान बनाने का भी यही तात्पर्य है कि उन्हें पारिवारिक रिश्ता बर्दाश्त नहीं हुआ।
यदि रघु व सिनोदिया की बात को सही मानें तो क्या वे इस प्रकार पूर्व में भी महत्वपूर्ण बैठकों में देरी होने पर बायकाट कर चुके हैं? क्या अतिथियों के विलंब होने पर बैठक व कार्यक्रम आदि देरी से शुरू होना सामान्य बात नहीं है? क्या वे खुद समय के इतने पाबंद हैं और खुद मुख्य अतिथी होने पर ठीक समय पर पहुंचते हैं? सवाल ये भी है कि अगर वे खुद भी किसी बैठक या समारोह के मुख्य अतिथी हों और उन्हें किसी कारण से विलंब हो जाए तो क्या इस प्रकार किसी के बायकाट को बर्दाश्त कर पाएंगे?
रघु व सिनोदिया वाकई इतने ही खरे हैं तो क्या उनके पास इस बात का जवाब है कि बैठक की अध्यक्षता मंत्रीजी के करने पर उठे विवाद पर वे चुप क्यों हो गए? विशेष रूप से रघु तो बेबाक बयानी के लिए प्रसिद्ध हैं, इसके बावजूद यह कह कर प्रतिक्रिया देने से मुकर गए कि नियमों की जानकारी सभी को है, मेरे से प्रतिक्रिया न लें

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