एक ओर जहां जर्दा मिश्रित गुटके पर प्रतिबंध लगने के बाद दैनिक भास्कर निकोटिन युक्त सादा पान मसाला के खिलाफ मुहिम चलाए हुए है और सरकार पर निरंतर दबाव बनाए हुए है, वहीं दूसरी कुछ उत्पादकों ने जर्दा मिश्रित गुटके का विकल्प भी बाजार में उतार दिया है। पूर्व में जर्दा मिश्रित गुटका बेचने वाली विमल गुटका कंपनी सहित कुछ और उत्पादकों ने सादा पान मसाला के साथ अपने ही ब्रांड के नाम से जर्दे की पुडिय़ा भी बेचना शुरू कर दिया है। अर्थात जर्दा मिश्रित गुटका खाने वालों के लिए एक आसान विकल्प आ गया है। अब वे सादा पान मसाला के साथ जर्दा मिला कर पहले की ही तरह अपनी लत की पूर्ति कर रहे हैं।
असल में यह आशंका शुरू से ही थी कि सरकार ने एक जनहितकारी कदम उठाने में इतनी जल्दबाजी दिखाई कि वह तुगलकी निर्णय सा प्रतीत होती थी। मुद्दा ये था कि यदि सरकार को यह निर्णय करना ही था तो पहले गुटखा बनाने वाली फैक्ट्रियों को उत्पादन बंद करने का समय देती, स्टाकिस्टों को माल खत्म करने की मोहलत देती तो उचित रहता, मगर सरकार ने ऐसा नहीं किया। जैसा कि अंदेशा था, सरकार के आदेश की आड़ में अब स्टाकिस्टों ने पहले से जमा माल डेढ़ से दो गुना दामों में चोरी-छिपे बेचना शुरू कर दिया है।
आपको ख्याल होगा कि जब सरकार ने प्रतिबंध लागू किया था तभी यह मुद्दा उठा था कि पाबंदी केवल तंबाकू मिश्रित गुटखे पर लगी है। पान मसाला अलग से मिलेगा और तंबाकू भी। लोग दोनों को खरीद कर उसका गुटका बना कर खाएंगे। हुआ भी यही। बाजार में सादा पान मसाला और जर्दे की पुडिय़ा अलग-अलग उपलब्ध हैं। यानि कि नतीजा सिफर ही रहा।
खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही कहा था कि सरकार ने आधा काम कर दिया है, आधा लोगों को गुटका छोड़ कर करना होगा। मगर ताजा हालत से तो यही कहा जा सकता है कि सरकार ने जो कदम उठाया, वह पूरी तरह से बेमानी हो गया है।
-तेजवानी गिरधर
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