शनिवार, 17 अगस्त 2013

क्या मायने हैं हेमंत भाटी की इस सक्रियता के?

हालांकि अजमेर के जाने-माने उद्योगपति व समाजसेवी हेमंत भाटी ने कभी सक्रिय व चुनावी राजनीति के प्रति अपनी महत्वाकांक्षा सार्वजनिक तौर पर जाहिर नहीं की है, मगर पिछले दिनों उनकी सक्रियता ने लोगों को यह सोचने को मजबूर कर दिया है कि कहीं वे इस बार चुनाव लडऩे का मानस तो नहीं बना रहे।
आपको याद होगा कि हाल ही जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों कोली वीरांगना झलकारी बाई स्मारक का लोकार्पण करवाया गया तो भाजपा से निकटता के बावजूद उन्होंने समाज की ओर से अपनी सक्रियता दिखाई। न केवल अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन दिए, अपितु समाज को कार्यक्रम में शिरकत करने की अपील भी की। उनकी पहल पर दिए गए विज्ञापनों में हालांकि स्मारक बनाने का श्रेय भाजपा को दिया गया, मगर एक विज्ञापन में साफ तौर पर इसके लिए उनकी ओर से किए प्रयासों को हाईलाइट किया गया।
इसके बाद हाल ही उनका जन्म दिन आया तो जैसे ही अखबारों में बधाई के नाते पूरे पेज के विज्ञापन सहित अन्य विज्ञापन देखे तो लोगों का ध्यान आकर्षित हुए बिना नहीं रह सका। जन्मदिन भी भव्य तरीके से मनाया गया।
कुल मिला कर उनकी इस सक्रियता ने लोगों को उनके अगले कदम बाबत सोचने को मजबूर कर दिया है। मुंड़े मुंडे मतिभिन्ना। जितने मुंह, उतनी बातें। कोई कहता है कि मौजूदा विधायक श्रीमती अनिता भदेल को दो बार जितवाने के बाद अब उनकी भी महत्वाकांक्षा जाग गई है। दूसरी ओर सूत्र बताते हैं कि उन्हें अजमेर के कांग्रेसी सांसद व केन्द्रीय कंपनी मामलात राज्य मंत्री सचिन पायलट ने अजमेर दक्षिण की टिकट देने का ऑफर दिया है। राजनीति की समझ रखने वाले मानते हैं कि अगर वाकई उनके मन में विधायक बनने की इच्छा दबी हुई है तो इससे अच्छा मौका हो नहीं सकता।  अगर भाजपा उन्हें टिकट देती है तो उनकी जीत सुनिश्चित मानी जा सकती है, क्योंकि कांग्रेस बुरी तरह से फूट की शिकार है। और अगर कांग्रेस का टिकट हासिल करते हैं तो भी वे भारी पड़ेंगे। वजह ये कि जिस जातीय और गुट के दम पर मौजूदा विधायक श्रीमती अनिता भदेल जीतती हैं, वह उनके सामने हेमंत भाटी के आने से पूरी तरह से खिसक जाएगा। भाजपा के पास फिलहाल अनिता से बेहतर विकल्प है नहीं। अगर डॉ. प्रियशील हाड़ा को माना जाए तो वे मेयर का चुनाव हार जाने के बाद हारे हुए जुआरी की श्रेणी में गिने जाते हैं। वैसे हेमंत को जानने वाले कहते हैं कि जैसा उनका मिजाज है, वे एकाएक अनिता को धोखा नहीं देंगे, मगर दूसरी ओर राजनीति का मिजाज ये कहता है कि कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता।
-तेजवानी गिरधर

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