रविवार, 27 अप्रैल 2014

बारहदरी का ताला तोड़ा गया, जिम्मेदार कौन?

युवक कांग्रेस के पदाधिकारियों ने आखिरकार दौलतबाग और बारहदरी को जोडने वाले रास्ते पर लगे गेट का ताला तोड़ दिया। बेशक इसे कानून हाथ में लेना ही कहा जाएगा, जो कि गलत कृत्य है, मगर सवाल ये उठता है कि आखिर यह नौबत क्यों आई? और इसके लिए वास्तविक जिम्मेदार कौन है?
ज्ञातव्य है कि ताला लगा देने के कारण जायरीन व मॉर्निंग वॉक करने वालों को परेशानी हो रही थी। इस ओर समाचार पत्रों ने नगर निगम व पुरातत्व विभाग का ध्यान आकर्षित भी किया, मगर एक भी अधिकारी के कान पर जूं नहीं रेंगी। दोनों एक-दूसरे पर टालते रहे। अगर दोनों महकमों के अधिकारियों में तालमेल का अभाव तो इसकी जिम्मेदारी जिला कलेक्टर की थी कि वे हस्तक्षेप करते, मगर उन्होंने भी कोई ध्यान नहीं दिया।
उल्लेखनीय है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का 802 वां सालाना उर्स शुरू होने वाला है और जाहिर तौर पर बाहर से आने वाले जायरीन बारहदरी देखना चाहेंगे, मगर ताला जड़ा होने के कारण उन्हें परेशानी होती। यह भी अखबारों के माध्यम से जिला प्रशासन के संज्ञान में थी। जिला कलेक्टर भवानी सिंह देथा ने उर्स की व्यवस्थाओं के लिए मेराथन बैठक ली और विश्राम स्थली व दरगाह का दौरा भी किया, मगर इस ओर ध्यान नहीं दिया। वे चाहते तो दोनों महकमों के अधिकारियों को साथ बैठा कर उचित रास्ता निकाल सकते थे।
अब जबकि युवक कांग्रेस के पदाधिकारियों ने ताला तोड़ कर कानून का उल्लंघन किया है, उन्हें दोषी ठहराया जा सकता है, मगर प्रश्न सिर्फ ये है कि प्रशासन ने खुद क्यों नहीं इस जनसमस्या पर ध्यान दिया? अगर हम ये कहते हैं कि आज की पीढ़ी अराजक होने लगी है तो साथ ही यह भी विचार करना होगा कि इसके लिए जिम्मेदार भी तो हम ही हैं।

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