बुधवार, 7 मार्च 2012

चुनाव लडाने के लिए वैश्य महासभा की नजर है रमेश अग्रवाल पर


अघोषित रूप से सिंधियों के लिए आरक्षित अजमेर उत्तर सीट को लेकर खिन्न वैश्य महासभा डॉ. श्रीगोपाल बाहेती पर दाव खेल कर विफल होने के बाद आगामी चुनाव में दैनिक भास्कर के स्थानीय संपादक रमेश अग्रवाल पर नजर लगाए हुए है।
महासभा का मानना है कि अग्रवाल न केवल बेहद साफ-सुथरी छवि के हैं, अपितु अजमेर फोरम के जरिए समाजसेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। इसके अतिरिक्त बिलकुल नया चेहरा होने के कारण सर्व स्वीकार्य भी रहेंगे। दैनिक भास्कर में होने के कारण उनका आभा मंडल भी सशक्त है। दैनिक नवज्योति से लेकर अब तक उन्होंने पत्रकारिता के माध्यम से अजमेर के हजारों लोगों को ऑब्लाइज किया है। वे सब बिना किसी हील हुज्जत के अग्रवाल को सहर्ष समर्थन देने को तैयार हो जाएंगे। उनके कई शागिर्द हैं, जो दिन-रात उनके सामने एक पैर पर खड़े रहने को तैयार रहते हैं। महासभा का प्रयास रहेगा कि या तो दोनों दलों में किसी एक से उनको टिकट दिलवाने की पैरवी की जाए। अगर ऐसा नहीं हो पता और दोनों दल सिंधियों को ही टिकट देते हैं तो अग्रवाल को निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतार दिया जाएगा।
दरअसल महासभा ने पिछली बार भी दाव तो सटीक खेला था। डॉ. बाहेती भी दमदार प्रत्याशी थे। वे कांग्रेस प्रत्याशी भी थे, मगर ऐन वक्त पर संघ आड़े आ गया और महासभा के कई कर्ताधर्ताओं को अंडर ग्राउंड होना पड़ गया और बाहेती को पहनाई गई फूलों की माला कांटों भरी साबित हो गई। इस बार इसकी पूरी सावधानी बरती जाएगी। हालांकि यूं तो महासभा के पास एक सशक्त दावेदार कालीचरण खंडेलवाल भी हैं, मगर हाल ही यूआईटी सदर की दौड़ में शामिल होने पर पैसे का खेल उजागर होने के बाद उन पर दाव खेलना खतरनाक हो सकता है।
रहा सवाल स्थापित युवा व ऊर्जावान नेता सतीश बंसल का तो वे पहले ही गैर सिंधीवाद का नारा देकर निपट चुके हैं। असल में वे 1857 की क्रांति कर बैठे थे। वैसे भी वे वैश्य महासभा के चक्कर में आने वाले नहीं हैं। महासभा की नजर दैनिक नवज्योति के प्रधान संपादक दीनबंधु चौधरी पर भी है, मगर पिताश्री कप्तान साहब के एक बार हाथ आजमा कर विफल होने के बाद उनकी कोई रुचि नहीं है। हालांकि राजनीति में उनकी रुचि तो है, मगर आए तो राज्यसभा सदस्य बन कर आना चाहेंगे। यूं मित्तल हॉस्पीटल के मनोज मित्तल भी उपयुक्त दावेदार हो सकते हैं, मगर वे रमेश अग्रवाल की तुलना में लोकप्रियता में काफी पीछे हैं। हालांकि फिलहाल महासभा अग्रवाल से कुछ नहीं कह रही क्योंकि वे दैनिक भास्कर में काम कर रहे हैं। वैसे भी वह उन्हें अजमेर फोरम के जरिए लोकप्रियता व राजनीतिक समझ बढ़ाने का मौका देना चाहती है। चुनाव आने से पहले-पहले अग्रवाल संभवत: रिटायर हो जाएंगे। उसके बाद महासभा उनसे खुल कर बात करेगी।
उम्मीद यही की जा रही है कि अग्रवाल मान भी जाएंगे क्योंकि उनकी अजमेर के विकास में गहरी रुचि है। अजमेर फोरम उसी दिशा में पहला कदम है। जीवन भर कलम घिसने के बाद अपना सारा ध्यान अजमेर की सेवा पर लगाने का मानस बना सकते हैं। ऐसे में महासभा का प्रस्ताव आया तो संभव है स्वीकार कर लें।
बुरा न मानो होली है।
-tejwanig@gmail.com

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