बुधवार, 7 मार्च 2012

भगत ने दिया यूआईटी सदर पद से इस्तीफा


नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष नरेन शहाणी भगत ने अपने मातहत अधिकारियों की हरकतों व मनमानी से तंग आ कर अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भिजवा दिया है। साथ ही लिखा है कि आपने मुझे पार्टी की सेवा के बदले जो इनाम दिया है, वह खुश होने का नहीं, बल्कि आए दिन परेशानी का सबब बना हुआ है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि पद ग्रहण करने के बाद कुछ दिन तक तो भगत काफी खुश थे कि जगह-जगह उनका भव्य स्वागत हो रहा है, लेकिन जैसे ही उन्होंने न्यास दफ्तर में बैठना शुरू किया तो उन्हें पता लगा कि ये तो बड़ा माथपच्ची का काम है। एक तो न्यास के घाघ अफसर उनकी जानकारी में लाए बिना ही महत्वपूर्ण आदेश जारी कर रहे हैं। दूसरा अपनी ही पार्टी के लोग हर वक्त नीचा दिखाने की फिराक में रहते हैं।
पिछले दिनों भगत तब भौंचक्के रह गए थे, जब अधिकारियों ने उनको बताए बिना ही जवाहर की नाडी, लोहागल व चंद्रवरदायी नगर में तोडफ़ोड़ कर दी। इस पर भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने तो हल्ला बोला ही, शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता ने भी जांच कमेटी बना डाली। भगत को यह जान कर बहुत अफसोस हुआ कि अतिक्रमण हटाने की तैयारी तो उनके पद संभालने से पहले ही हो गई थी, लेकिन अफसर अपनी खाल बचाने की खातिर इंतजार कर रहे थे कि जैसे ही सरकार किसी को अध्यक्ष बनाएगी तो कार्यवाही को अंजाम दे दिया जाएगा। और वही किया। अफसर तो आज यहां हैं, कल कहीं और चले जाएंगे, मगर उन्हें तो यहीं रहना है। फोकट में ही सैकड़ों लोगों को उनका दुश्मन बना दिया।
अभी यह घाव भरा ही नहीं था कि न्यास अफसरों ने भूखंड खरीद के लिए एनओसी पर रोक लगाने व पुरानी योजनाओं के भूखंडों से जुड़े आवेदन पत्रों पर मूल आवंटियों से शपथ पत्र लेने के आदेश बिना उनकी जानकारी में लाए ही जारी कर दिए। इतना ही नहीं कृषि भूमि नियमन में आवेदकों से नियमन शुल्क व विकास शुल्क की वसूली के लिए गठित समिति ने भी अपनी सिफारिशें उन्हें तो बताई नहीं, जबकि अखबार वालों को लीक कर दी। वो अखबारों में लंबी-चौड़ी खबरें छपीं तब जा कर उन्हें पता लगा कि एसी कोई सिफारिशें भी की गई हैं। परेशानी तब आई, जब पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार खेमे के पूर्व पार्षद रमेश सेनानी सहित कुछ कॉलोनाइजर्स ने दफ्तर में धमक कर उन्हें घेर लिया। अफसरों की इन हरकतों से परेशान हो कर आखिर उन्हें यह कहना पड़ा कि अरे भले आदमियों मुझे तो बताया करो कि आखिर कर क्या रहे हो।
बहरहाल, अफसरों के सामने उन्होंने भले ही अपने गुस्से का इजहार कर दिया हो, मगर घर जा कर सोचा कि यही रवैया रहा तो कहीं ये अफसर उनसे किसी ऐसी फाइल पर दस्तखत न करवा लें कि मैं फंस जाऊं। ऐसे ही अफसरों व भू माफियाओं की मिलीभगत से एक फर्जी सीडी बना ली गई थी, जिसने पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन को इस्तीफा देने को मजबूर कर दिया। वैसे भी न्यास एक ऐसा दफ्तर है, जहां भू माफियाओं का अड्डा है। वे हर वक्त शहर को बेचने का षड्यंत्र रचते रहते हैं। अपन ठहरे सीधे-सादे आदमी। किसी दिन किसी षड्यंत्र में फंस गए तो लेने के देने पड़ जाएंगे। आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट लेना भी मुश्किल हो जाएगा। इससे बेहतर है कि ऐसे कांटों भरे ताज को उतार कर ही फैंक दिया जाए। यह सोच कर अपने मन को कड़ा करते हुए भगत ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेज दिया है।
बुरा न मानो होली है।
-tejwanig@gmail.com

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