गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

पाक मंत्री की सभा : प्रशासन की मुस्तैदी पर बड़ा सवाल

अजमेर में गत 30 सितम्बर को प्रशासन की अनुमति के बिना मेरवाड़ा एस्टेट में अवैधानिक व नियम विरुद्ध हुई पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्री मकदूम अमीन फहीम की सभा जिला प्रशासन व पुलिस की मुस्तैदी पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।
सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि यह सभा आयोजित ही कैसे कर ली गई? इसके लिए अनुमति क्यों नहीं ली गई? सभा स्थल पर हजारों लोगों के एकत्रित होने पर पुलिस ने ऐतराज क्यों नहीं किया? अनुमति तो दूर की बात है, प्रशासन के प्रोटोकॉल अधिकारी और पुलिस अफसर खुद ही उनको एस्कॉर्ट कर सभा स्थल पर ले गए। उन अधिकारियों को यह ख्याल कैसे नहीं आया कि पाक मंत्री के जियारत कार्यक्रम में यह तो शामिल था ही नहीं। इसके अतिरिक्त इस सभा की अनुमति तो ली ही नहीं गई है। उन्हें वहां ले जाने से पहले उनसे अनुमति पत्र मांगा जाना चाहिए था, मगर वे सब कुछ चुपचाप देखते रहे। इससे सवाल ये उठता है कि आखिर वे चुप क्यों थे? क्या उन्हें ऊपर से कोई इशारा था? सवाल ये भी है कि पाकिस्तानी मंत्री की सभा में गुपचुप तरीके से हजारों लोग एकत्रित कैसे हो गए? वे सभी सीमावर्ती जिलों के थे और पाक मंत्री के मुरीद होने के नाते उनके दीदार करने आए थे। उनको एकत्रित करने वाला और सभा आयोजित करने वाला कौन था? सवाल ये है कि क्या पाकिस्तानी मंत्री का मकसद दरगाह जियारत के नाम पर अजमेर आकर सभा करना ही था? जांच का विषय ये भी है कि पाक मंत्री ने यहां सभा करने के अतिरिक्त किन-किन लोगों से मंत्रणा की और उसका मकसद क्या था? अफसोसनाक बात ये रही कि हरवक्त मुस्तैद रहने वाले मीडिया कर्मियों के मन में भी यह ख्याल नहीं आया कि यह सभा कैसे हो रही है। मीडिया ने दूसरे दिन भी कोई सवाल नहीं उठाया। तीसरे दिन जा कर भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष औंकार सिंह लखावत की इस मामले पर नजर पड़ी। उन्होंने तुरंत शहर भाजपा अध्यक्ष प्रो. रासासिंह रावत और विधायक द्वय प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल को बुला कर पे्रेस कॉन्फ्रेंस की।
अफसोसनाक ये भी कम नहीं है कि अजमेर के घटनाक्रम के विषय में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह बयान दिया कि उन्हें इस विषय पर कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई हैं। कैसी विडंबना है कि राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़े इस मसले पर एक मुख्यमंत्री ऐसा कह रहे हैं, जबकि पूरा प्रशासन व पुलिस उन्हीं के नियंत्रण में है। होना तो यह चाहिए था कि भाजपा के ऐतराज करने से पहले ही उनको मामले की जांच करने के आदेश दे कर संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों को तलब करना था।
जहां तक भाजपा के ऐतराज का सवाल है, वह भले ही प्रत्यक्षत: राजनीति लगे, लेकिन निष्पक्ष रूप से यह मसला वाकई बेहद आपत्तिजनक है। जिस मंत्री ने बिना अनुमति के यहां सभा की, वह उसी पाकिस्तान के हैं, जिसके इशारे पर हमारे आए दिन आतंकी घटनाएं होती हैं। उस देश के मंत्री का अजमेर में भारत के सीमांत जिलों बाड़मेर और जैसलमेर से आए हजारों लोगों को उनके धार्मिक नेता के रूप में संबोधित करना घोर आपत्तिजनक है। इससे राज्य व केन्द्र सरकार की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
इन सबसे इतर पाक मंत्री की यह हरकत अजमेर जैसे अंतराष्ट्रीय महत्व के शहर में करना बेहद चिंतनीय है। अजमेर को दरगाह ख्वाजा साहब और तीर्थराज पुष्कर की वजह से सर्वाधिक संवेदनशील शहरों में शुमार किया जाता है। दरगाह में बम विस्फोट और पुष्कर में मुंबई ब्लास्ट के मास्टर माइंड का खबाद हाउस की रेकी करने जैसी घटनाएं हो चुकी हैं। उसके बाद तो अजमेर और भी असुरक्षित हो गया है। इसके बाद भी प्रशासन व पुलिस ने लापरवाह बरती तो वह पूरी तरह से इस घटना के लिए जवाबदेह हो गया है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह मामले की पूरी जांच करवा कर दोषी अधिकारियों को दंडित करे।

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